UP Divided into 2 Parts -
उत्तर प्रदेश समेत केंद्र की राजनीति में बड़ा बदलाब हुआ है। केंद्र के मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे जोड़े गए तो कुछ पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। अब नई चर्चा यह है कि 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के अधिवेशन में मोदी गवर्नमेंट उत्तर प्रदेश को दो भागों में बांटने का एक विधेयक विधिवत रूप से पेश करने वाली है।
इसके लिए बसपा की अध्यक्षा और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रही मायावती द्वारा भी विधानसभा में बाकायदा बिल पास करके केंद्र सरकार को की गई पुरानी सिफारिश भी मोदी गवर्नमेंट के लिए बहुत अच्छे हथियार के रूप में सामने आई है। मोदी गवर्नमेंट ने अब इसी सिफारिश के आधार पर उत्तर प्रदेश को इसलिए बांटने की योजना बनाई है। ताकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सत्ता खासकर पूर्वांचल में तो हर प्रकार से बनी रहे।
उत्तर प्रदेश के 2 टुकड़े -
खबर है पूर्वांचल को ज्यों का त्यों रखा जाएगा क्योंकि इस खंड में पश्चिमी हिस्से के मुकाबले में योगी आदित्यनाथ का दबदबा ज्यादा है। वही इसके दूसरे हिस्से को अलग प्रदेश बनाया जा सकता है। लगता यह है कि उत्तर प्रदेश के कुछ सीमावर्ती जिले उत्तराखंड में भी शामिल कर दिए जाएंगे।
और जगाधरी और इसका निकटवर्ती क्षेत्र हरियाणा में शामिल कर दिया जाएगा। इसी प्रकार हरियाणा के फरीदाबाद, गुरुग्राम को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में मिलाया जा सकता है। परंतु पूर्वांचल हर प्रकार से पूर्ण रूप से स्थिर रखा जाएगा क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव के पश्चात भी यहां योगी सरकार बनने का ही भाजपा को विश्वास है।
संसद में उत्तर प्रदेश के विभाजन का विधेयक पास करवाने में भाजपा की केंद्र सरकार को कोई कठिनाई नहीं आएगी क्योंकि इससे पहले भी मोदी गवर्नमेंट जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने वाली संविधान की धारा 370 को रद्द करवाने का काम संसद के दोनों सदनों में बड़े आराम से करवा चुकी है।
यदि यह सब कुछ ऐसा हो गया तो किसान आंदोलन के दुष्प्रभावों से भाजपा स्वयं को काफी हद तक बचा पाने में सक्षम हो सकती है। वैसे बहुत कुछ इसी महीने के दौरान होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम पर भी निर्भर होगा, तभी तस्वीर और स्पष्ट होकर सामने आएगी।