सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत

सभी देवताओं के आराध्य और करोड़ों ब्रह्मांडों के अधिपति परमात्मा श्रीकृष्ण ने 28वें द्वापर के अंत में त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के अनुरोध पर इस धरा पर अवतार लिया था। शास्त्रों के अनुसार परमात्मा श्रीकृष्ण कभी भी अवतार नहीं लेते बल्कि द्वापर में नन्द बाबा के यहां उनका अवतरण हुआ था। 


  • कब आती है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी प्रतिवर्ष भाद्रपद माह (भादों) में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सभी कृष्ण भक्त तथा बैष्णव जन उपवास करके अर्ध रात्रि में पूजा कर जल ग्रहण करते हैं।


  • 2020 में कब है जन्माष्टमी

12 अगस्त दिन बुधवार

  • कैसे किया जाता है उपवास


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास करने वाले कि हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसा बहुत से विद्वानों का मत है। प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि क्रियाओं से मुक्त होकर सूर्य की पहली किरण के साथ उपवास प्रारम्भ किया जाता है। व्रत शुरू करने से पहले घर मे स्थित पूजा स्थल में श्रीकृष्ण के महामन्त्र का जाप करें मन को सभी प्रकार की वासनाओं से मुक्त कर प्रभु के चरणों मे ध्यान लगाएं। उसके पश्चात उपवास प्रारम्भ करें। बहुत सी जगहों पर लोग अखण्ड ज्योति भी जलाते हैं जो कि सुबह से लेकर अर्ध रात्रि तक जलती है।

श्रीकृष्ण का जन्म अर्ध रात्रि में ही हुआ था। इसलिए इनका जन्मदिन रात्रि में ही मनाया जाता है। रात्रि में पूजा करने के बाद सभी अपना उपवास खोलते हैं। और आपस में मिलकर भजन कीर्तन करते हैं।

  • किसे नहीं करना चाहिये उपवास

शास्त्रों के अनुसार बालक, बृद्ध, और रोगी को किसी भी प्रकार का व्रत नही करना चाहिए। इनके लिए किसी भी प्रकार का सेवा पाप नहीं होता। 





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