कल दिन रविवार 21 June,2020 का सूर्यग्रहण दे रहा है कई खतरनाक संकेत
आसमान में लगातार बदल रही ग्रहों की चाल के बीच 21 जून 2020 को 16 दिन के अंदर दूसरा ग्रहण लगने जा रहा है। इससे पहले 5 जून 2020 को चंद्रग्रहण लगा वहीं अब इस 21 जून को सूर्यग्रहण होगा।
यह सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा और भारत में दिखाई देगा, इसलिए यहां ग्रहण का सूतक काल भी मान्य होगा।
21 जून की सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू 12:18 पर मध्य 2:04 पर दोपहर में मोक्ष यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा। दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव रहेगा। इसे भारत समेत दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में देखा जा सकेगा।
सूतक शुरु - 20 जून की रात्रि 10:31 से
सूतक समाप्त -, 21 जून को दोपहर 2:04 पर
सनातन मान्यता के अनुसार ग्रहण लगने से पहले ही सूतक शुरु हो जाते हैं।
सूतक का अर्थ है - खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है , ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना ज्यादा होती है। सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। ऐसे समय में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर का केवल ध्यान करना चाहिए, पूजा नहीं।
आषाढ़ महीने में सूर्यग्रहण के अलावा 5 ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका है। इस महीने ज्यादा बारिश, समुद्री चक्रवात, भूकंप, तूफान और महामारी से जन-धन की हानि का खतरा बन रहा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में चक्रवात के साथ भयंकर बारिश हो सकती है।
21 जून सूर्य ग्रहण- जानें तिथि, नक्षत्र और राशि...
21 जून 2020 का सूर्य ग्रहण इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि पर लगेगा। ज्ञात रहे सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन और चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है।
यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में कृष्ण पक्ष के दौरान अमावस्या तिथि और मृगशिरा नक्षत्र में पड़ेगा। अत: मिथुन राशि के जातकों पर इस सूर्य ग्रहण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव मिथुन राशि पर पड़ेगा।
यह सूर्य ग्रहण सुबह 10 बज कर 31 minute से 14:04: बजे तक रहेगा।
ऐसे समझें वलयाकार सूर्य ग्रहण
वलयाकार सूर्य ग्रहण का एक प्रकार है, जैसे आंशिक और पूर्ण होता है। जब सूर्य के मध्य से चंद्रमा की छाया गुजरती है तो उसके चारों तरफ एक चमकीला गोल घेरा बन जाता है, जिसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण रिंग ऑफ फायर के समान दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण को देखने के लिये आपको ऐसे चश्मों का इस्तेमाल ही करना चाहिए, जो वैज्ञानिकों द्वारा मान्य हों।
सूर्य ग्रहण में सावधानियां
सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक काल विशेष रूप से हानिकारक माना जाता है। मान्यता के अनुसार उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही उन्हें चाकू छुरी या नुकीली चीजों का प्रयोग करना चाहिए। कहा जाता है कि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु के ऊपर पड़ता है।
जिस प्रकार किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं, उसी प्रकार ग्रहण के सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता, यहां तक की मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं।
सूतक काल में काटने छाटने का काम भी नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही प्रेगनेंट महिलाओं चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है है कि ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।
अन्य सावधानियां...
: सूर्य ग्रहण को आंखों पर बिना किसी सुरक्षा के नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के दौरान आपको अपनी आंखों पर ग्रहण के दौरान प्रयोग किये जाने वाले चश्में लगाने चाहिए।
: इसके अलावा सामान्य दर्पण या तस्तरी में पानी डालकर सूर्य ग्रहण को देखा जा सकता है।
: इस ग्रहण के दौरान भोजन और पानी का सेवन न करें।
: इस समय पूजा करना और स्नान करना भी शुभ नहीं माना जाता।
: ग्रहण के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
: ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप खास माना जाता है।
सूतक काल : नहीं करते पूजा-पाठ
सूतक काल के समय पूजा पाठ नहीं की जाती है। साथ ही भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है, वहीं सूतक के समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं। जिस कारण सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, लेकिन इस दौरान भजन कर सकते हैं। सूर्य ग्रहण के बाद स्नान, दान और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है।