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आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा सर, मैंने हर बैठक में आपके द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है। इस बार आप मुझे भी भाषण देने का मौका दें।
आइंस्टीन ने हैरान होते हुए कहा ठीक है, अगले आयोजक मुझे नहीं जानते। आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बन कर चलूँगा
ऐसा ही हुआ, बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया।और भाषण देने लगा...
उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं। लेकिन ...
उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा - सर, क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं ?
असली आइंस्टीन ने देखा ये तो बड़ा खतरा है! इस बार वाहन चालक पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर आइंस्टीन हैरान रह गए...
ड्राइवर ने जवाब दिया- "क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई ?
मेरे ड्राइवर से पूछिए इतनी सी बात तो वो आपको समझा देगा।
यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी..!!!